धीरे बोलना स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन से भी जुड़ा हुआ है। तेज बोलना अक्सर चिंता का परिणाम होता है, जिससे तनाव स्तर बढ़ता है और सांसें उथली हो जाती हैं व दिल की धड़कन तेज हो जाती है। धीरे बोलने से व्यक्ति खुद को शांत कर सकता है, अपनी सांसों को नियंत्रित कर सकता है, और चिंता को कम कर सकता है। श्रोताओं के लिए, धीमी गति से बोलने से एक आरामदायक माहौल बनता है, जिससे जानकारी को बिना दबाव के समझना आसान हो जाता है। यह मानसिक थकान को कम करता है और शांति का अनुभव बढ़ाता है। माइंडफुलनेस या थेरेपी जैसी स्थितियों में, धीमी और सधी हुई बातचीत तनाव को कम करने और विश्राम व मानसिक संतुलन को प्रोत्साहित करने के लिए उपयोग की जाती है।

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