हम अक्सर असंतुष्ट होते हैं क्योंकि हम ज़्यादा सोचते हैं, जिससे हमारा मन चिंता और विचारों के चक्र में फंस जाता है और हमें वर्तमान से दूर कर देता है। ज़्यादा सोचने से हम वास्तविकता को विकृत कर देते हैं, जिससे चिंता और असंतोष बढ़ता है। निर्णय लेने के डर से हम आगे नहीं बढ़ पाते और दूसरों से तुलना करके ईर्ष्या महसूस करते हैं। अंततः, यह मानसिक थकान हमारी ऊर्जा खत्म कर देती है और शांति पाने में कठिनाई होती है। सच्चा सुख मन को शांत करने और वर्तमान को अपनाने से आता है।

Rajeev Shandillya
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